चंडीगड़ (द पंजाब प्लस) भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पंजाब सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ती सैन्य गतिविधियों और संभावित संकट के बीच लिया गया है। सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी छात्र को सुरक्षा, परिवहन या व्यक्तिगत कारणों से परिसर छोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए।
पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से इस दिशा-निर्देश की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यह निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। बैंस ने स्पष्ट किया, “किसी भी छात्र को, चाहे वह सुरक्षा, परिवहन या व्यक्तिगत कारणों से असमर्थ हो, परिसर छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि संस्थानों को छात्रों के कल्याण के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके तहत छात्रों को भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य आवश्यक सुविधाएं बिना किसी बाधा के उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि कोई छात्र घर लौटने का विकल्प चुनता है, तो उसे शैक्षणिक दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा। छात्रों के लिए पुनर्निर्धारित परीक्षाएं या वैकल्पिक व्यवस्थाओं की संभावना सुनिश्चित की जाएगी।
-उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश
पंजाब उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं या छात्र किसी कारणवश परिसर छोड़ने में असमर्थ हैं, तो उन्हें किसी भी प्रकार के दंड का सामना नहीं करना होगा। विश्वविद्यालयों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे किसी भी छात्र को अपनी इच्छा के खिलाफ परिसर में रुकने के लिए मजबूर न करें।
इस आदेश के तहत, संस्थानों को छात्रों की मदद के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने या हेल्पडेस्क स्थापित करने के लिए कहा गया है, ताकि छात्रों को किसी भी प्रकार की चिंता न हो। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्र किसी भी तरह के मानसिक या शारीरिक दबाव का सामना न करें।
-सुरक्षा की स्थिति और संघर्ष की बढ़ती जटिलता
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और संघर्ष के चलते यह निर्णय और भी महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले शनिवार को पाकिस्तान द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों में 26 स्थानों पर हमले के बाद, भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अभी भी संघर्ष जारी है और दोनों देशों के बीच स्थिति गंभीर बनी हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के चार प्रमुख वायुसेना अड्डों पर हमले किए। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है, जिससे नागरिकों और छात्रों में भय का माहौल है। ऐसे में पंजाब सरकार का यह कदम छात्रों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देने की दिशा में एक अहम पहल है।
-संस्थानों की भूमिका
पंजाब सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रशासन का यह कर्तव्य होगा कि वे छात्रों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएं। इसके अलावा, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र किसी प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने से न चूकें, भले ही वे अपने घर वापस लौटने का निर्णय लें। यह आदेश उन छात्रों के लिए राहत की खबर लेकर आया है जो सुरक्षा कारणों से अपने गृह राज्य लौटना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें घर लौटने के बावजूद शैक्षणिक दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा।
-छात्रों की सुरक्षा के लिए पंजाब सरकार का सख्त कदम
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच, पंजाब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम छात्रों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए एक सशक्त संदेश है। जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा हो, तब सरकार का यह प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए है कि शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई और सुरक्षा दोनों में कोई समझौता न हो। यह कदम छात्रों को मानसिक शांति प्रदान करने और उन्हें किसी भी प्रकार के डर और दबाव से मुक्त रखने के लिए है, ताकि वे अपने शैक्षणिक लक्ष्यों की ओर बिना किसी बाधा के बढ़ सकें।