बांग्लादेश (द पंजाब प्लस) 31 जुलाई को बांग्लादेश में भारत के राजदूत प्रणय वर्मा ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की। सोर्सेज के मुताबिक, उस वक्त हसीना ने प्रणय को अपनी जान के खतरे के बारे में बताया। इस बातचीत में हसीना ने दावा किया कि विरोधी ताकतें कैसे PM हाउस पर हमला कर उन्हें मारने की प्लानिंग कर रही हैं। इसके बाद प्रणय वर्मा ने ये जानकारी नई दिल्ली के साथ साझा की।
बांग्लादेश में हुई इस उठापठक से पहले ही तीन दिनों का पब्लिक हॉलिडे अनाउंस कर दिया गया। सेना को स्थिति संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई। आर्मी चीफ वकार-उज-जमान हाल ही में नियुक्त किए गए हैं। बांग्लादेश में प्रधानमंत्री के करीबी न होते तो इस तरह के पद पर नहीं बैठ सकते थे। हसीना सरकार के सोर्सेज के मुताबिक, मौजूदा आर्मी चीफ के नई दिल्ली से भी अच्छे संबंध हैं।
सोर्सेज के मुताबिक, हसीना ने भारत सरकार से मदद की अपील की थी, लेकिन सरकार इस मामले में सीधे दखल देकर किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहती थी। इसलिए विदेश मंत्रालय ने उन्हें भारत आने की सलाह दी। आंदोलनकारियों के जुलूस के PM हाउस की ओर निकलने के बाद शेख हसीना ने देश छोड़ दिया। वे सेना के हेलिकॉप्टर से भारत चली आईं।
देश छोड़ने से पहले शेख हसीना राष्ट्र के नाम संबोधन देना चाहती थीं, लेकिन हालात बिगड़ने की आशंका के चलते सेना ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। हालांकि प्रधानमंत्री के देश छोड़ने के बाद ही आर्मी चीफ ने देश को संबोधित किया। तब तक ढाका की सड़कों पर जीत का जश्न शुरू हो गया। अब पूरे बांग्लादेश में “सब राजा” हैं।
बदले हालात को कई लोग आजादी के दिन के तौर पर देख रहे हैं। वे इसे आतंक से मुक्त स्वतंत्रता कह रहे हैं, लेकिन बदले की हिंसा अब भी जारी है। फिलहाल, पूरी दुनिया बांग्लादेश के इस ‘नए मुक्ति संग्राम’ की ओर देख रही है। आने वाले दिनों में ये रिसर्च का मुद्दा होगा कि इस मुक्ति संग्राम में खर्च हुई रकम और संगठन बांग्लादेश के आम लोगों ने कैसे जुटाया।