चंडीगड़ (द पंजाब प्लस) पंजाब सरकार ने पंजाब भर में सभी सरकारी भर्तियों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है। सभी विभागों को आदेश जारी किए गए हैं कि वित्त विभाग की मंजूरी के बिना कोई भी भर्ती न की जाए। यहां तक कि जो भर्ती प्रक्रिया पहले से चल रही है और पूरी नहीं हुई है, उसे भी बीच में ही रोक दिया जाए। पंजाब सरकार के इन आदेशों के बाद कई विभागों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है और अब ये परीक्षाएं अगले आदेशों तक आयोजित नहीं की जाएंगी।
पंजाब लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा इस सप्ताह आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है। इसके पीछे प्रशासनिक कारण बताए जा रहे हैं, जबकि हकीकत में ये परीक्षाएं विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की गलती के कारण स्थगित की गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान वित्त विभाग ने 17 जुलाई 2020 को एक आदेश जारी कर भविष्य में होने वाली सभी भर्तियों में केंद्रीय स्केल के साथ 7वें वेतन आयोग को लागू करने का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही सभी विभागों को 7वें वेतन आयोग को लागू करने के लिए नए स्केल को अधिसूचित करने और नियमों में संशोधन करने के आदेश भी जारी किए गए थे, लेकिन विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने विभागों में सीधी स्थायी भर्ती करने से पहले न तो 7वें वेतन आयोग के स्केल को अधिसूचित किया गया और न ही इस संबंध में नियमों में आवश्यक संशोधन किए गए।
इसके चलते 17 जुलाई 2020 के बाद विभागों में भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों ने वित्त विभाग के उस पत्र को लेने से साफ इनकार कर दिया और 6वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां सिंगल और डिविजनल बेंच में मिली हार के बाद पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने तक गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेशों पर अपनी मुहर लगा दी, जिसके बाद अब पंजाब सरकार के अधिकारियों ने अपनी गलती का एहसास करते हुए नियमों में संशोधन करने का फैसला लिया है।