नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के बीच एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई। यह मुलाकात चीन के किंगदाओ शहर में हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई, लेकिन यह बातचीत मुख्य बैठक से अलग निजी तौर पर की गई। दोनों देशों के बीच यह वार्ता काफी समय बाद हो रही थी और इसे एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
सकारात्मक माहौल बनाए रखने की बात
आपको बता दें कि राजनाथ सिंह ने इस मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन को आपसी रिश्तों में नई जटिलताएं जोड़ने से बचना चाहिए और सकारात्मक माहौल को बनाए रखना चाहिए। इस बातचीत का उद्देश्य आपसी समझ को बेहतर बनाना और पुराने विवादों को बढ़ाने के बजाय सुलझाने की कोशिश करना था।
कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू
इस बातचीत में राजनाथ सिंह ने एक खास बात का जिक्र करते हुए अपनी खुशी भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि लगभग छह साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया जा रहा है, जो भारत और चीन के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है। यह यात्रा भारतीय श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्व रखती है, और इसका दोबारा शुरू होना दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार की एक सकारात्मक दिशा मानी जा रही है।
चीनी मंत्री को मधुबनी पेंटिंग भेंट की
राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष को भारत की पारंपरिक कला का एक खास तोहफा भी दिया। उन्होंने बिहार के मिथिला क्षेत्र की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग भेंट की। यह पेंटिंग अपने चमकीले रंगों, खूबसूरत पैटर्न और आदिवासी चित्रण के लिए जानी जाती है। मिट्टी से बने प्राकृतिक रंगों का उपयोग इसे और भी खास बनाता है। यह भेंट भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है और दोस्ती का एक सुंदर प्रतीक मानी जा सकती है।
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार
इस बैठक में एक संयुक्त बयान तैयार किया गया था, लेकिन राजनाथ सिंह ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए। इसका कारण यह था कि उस बयान में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। भारत ने इसे एक गंभीर चूक माना और इसलिए संयुक्त बयान से खुद को अलग रखा।
सीमा पार आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख
राजनाथ सिंह ने इस बैठक में आतंकवाद के मुद्दे को भी पूरी मजबूती से उठाया। उन्होंने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि सीमा पार से होने वाला आतंकवाद दोनों देशों के लिए एक बड़ा खतरा है। भारत ने हमेशा आतंकवाद का विरोध किया है और आगे भी करता रहेगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस मुद्दे पर भारत किसी तरह का समझौता नहीं करेगा।
भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की यह मुलाकात कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। जहां एक तरफ रचनात्मक और सकारात्मक बातचीत हुई, वहीं दूसरी तरफ भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा मुद्दों पर कोई नरमी नहीं दिखाई। कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, पारंपरिक कला का आदान-प्रदान और आतंकवाद पर सख्त रुख ये सभी बातें इस मुलाकात को एक संतुलित और रणनीतिक बातचीत बनाती हैं।

