नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) 4 जुलाई को बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपना 29वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर लाखों भक्त मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में मौजूद रहे। हालांकि एक दिन पहले पंडाल गिरने की घटना के कारण कई आयोजनों को रद्द कर दिया गया था, फिर भी बाबा ने सादगी के साथ अपने भक्तों के बीच जन्मदिन मनाया। कार्यक्रम के दौरान भक्तों ने “जय श्रीराम” और “हिंदू राष्ट्र” के नारे लगाए। बाबा ने इस अवसर पर हिंदू राष्ट्र का संकल्प दोहराया और कहा कि यह आंदोलन केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक धर्मयुद्ध है। उन्होंने घोषणा की कि वे गली-गली, गांव-गांव, नुक्कड़-नुक्कड़ जाकर हिंदुओं को गले लगाएंगे और उनमें हिंदुत्व की भावना जागृत करेंगे। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
जातिवाद को बताया सबसे बड़ी बीमारी
आपको बता दें कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने अपने उद्बोधन में जातिवाद को देश की सबसे बड़ी बीमारी बताया। उन्होंने कहा कि जब तक जातियों में भेदभाव रहेगा, तब तक समाज एकजुट नहीं हो सकता। उन्होंने घोषणा की कि वे गली-गली, गांव-गांव, नुक्कड़-नुक्कड़ जाकर हिंदुओं को गले लगाएंगे और उनमें हिंदुत्व की भावना जागृत करेंगे। उनका यह संदेश न केवल सामाजिक समरसता की ओर संकेत करता है, बल्कि हिंदू समाज में एकता लाने का आह्वान भी है।
भक्तों से गिफ्ट में मांगा ‘हिंदू राष्ट्र’ का संकल्प
अपने जन्मदिन पर बाबा ने कोई भौतिक उपहार नहीं मांगा, बल्कि उन्होंने भक्तों से एक वैचारिक गिफ्ट की मांग की। उन्होंने कहा कि उन्हें उपहार में चाहिए…
-हिंदू राष्ट्र का संकल्प
-जातिवाद से मुक्ति
-धर्मांतरण पर पूर्ण विराम
-भारत को विश्वगुरु बनाने की प्रतिज्ञा।
उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि सनातन धर्म की पताका दुनिया भर में लहराई जाए और भारत को फिर से वैभवशाली बनाने के लिए सब मिलकर प्रयास करें। साथ ही उन्होंने शांति और संयम का संदेश देते हुए कहा कि हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे विश्व युद्ध जैसी स्थिति बने।
दक्षिण भारत में दरबार लगाने की तैयारी
दरअसल, बाबा के जन्मदिन पर भक्तों का उत्साह चरम पर था। चेन्नई से भी बड़ी संख्या में भक्त बागेश्वर धाम पहुंचे और घोषणा की कि जल्द ही बाबा का दरबार दक्षिण भारत में भी लगेगा। बाबा के समर्थकों ने कहा कि अब साउथ इंडिया में भी सनातन धर्म की आवाज गूंजेगी, और बाबा की उपस्थिति वहां नए आयाम बनाएगी। इस दौरान बाबा ने अपनी आगामी पदयात्रा की भी घोषणा की, जो बृज क्षेत्र में निकाली जाएगी।
बाबा ने बताया आगे की योजना
अपने संक्षिप्त संबोधन में बाबा कुछ मिनटों के लिए मंच पर आए और अपनी टीम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब वे केवल कथा वाचक नहीं बल्कि एक विचारधारा के वाहक बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि आगे का रोडमैप तैयार है और वे पूरे देश में हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए तैयार हैं।
बड़ा चेहरा बनते जा रहे धीरेंद्र शास्त्री
आपको बता दें कि कुछ साल पहले तक केवल छतरपुर और आसपास के क्षेत्रों तक सीमित रहे धीरेंद्र शास्त्री आज देश और विदेश में एक बड़ा नाम बन चुके हैं। वे अब बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों में कथा करते हैं। उनके भक्तों की संख्या लाखों में नहीं, बल्कि करोड़ों में है। उनके चमत्कारी ‘पर्चे’ की चर्चा अब विदेशों में भी हो रही है। ऑस्ट्रेलिया, फिजी, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी उन्हें बुलाया जा रहा है।
धार्मिकता से ज्यादा वैचारिक आंदोलन का स्वरूप
आज धीरेंद्र शास्त्री की छवि एक कथा वाचक से आगे बढ़कर एक वैचारिक नेता की बन चुकी है। वे जहां भी जाते हैं, वहां हिंदू राष्ट्र की चेतना को जागृत करते हैं। इसलिए अब उनकी चर्चा केवल चमत्कारों या पंडालों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे भारत की सांस्कृतिक राजनीति में भी एक प्रमुख आवाज बनते जा रहे हैं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री का यह जन्मदिन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह हिंदू एकता, सनातन संस्कृति और भारत को विश्वगुरु बनाने के संकल्प का मंच बन गया। बाबा के विचार, उनके संदेश और उनका दृढ़ विश्वास यह संकेत देते हैं कि आने वाले समय में वे धार्मिक क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक और वैचारिक नेतृत्व की भूमिका में भी सक्रिय रूप से नजर आएंगे।