चंडीगड़ (द पंजाब प्लस) पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को लेकर विधानसभा में बिल पेश कर दिया है। इसके मुताबिक अगर कोई किसी भी धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी (अपमान) करता है तो उसे 10 साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इस कानून में धार्मिक ग्रंथों में सिखों के श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ हिंदुओं की श्रीमद्भागवत गीता, मुस्लिमों की कुरान शरीफ और ईसाई धर्म की बाइबल को भी शामिल किया गया है।
पंजाब सरकार ने इसे पंजाब पवित्र ग्रंथ बिल-2025 का नाम दिया है। CM भगवंत मान ने यह बिल पेश किया। इस बिल पर अब कल होने वाले पंजाब विधानसभा के चौथे व आखिरी दिन के सत्र में चर्चा होगी। चूंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी के पास 117 में से 93 विधायक हैं, ऐसे में बिल पास होना तय है। हालांकि इस बिल को कानूनी रूप तभी मिलेगा, जब राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद राष्ट्रपति के स्तर पर इसे मंजूरी मिल सके।
पंजाब सरकार के पवित्र धार्मिक ग्रंथ बिल की अहम बातें
- इस बिल के अंतर्गत आने वाले सभी अपराध गंभीर श्रेणी के होंगे। इनमें न तो जमानत मिलेगी और न ही समझौता किया जा सकेगा। इसका मुकदमा सेशन कोर्ट में चलेगा।
- इस बिल के तहत दर्ज केसों की जांच DSP या उससे ऊपर के लेवल का ही अधिकारी कर सकेगा।
- धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों को कम से कम 10 साल कैद और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा मिलेगी। इसके साथ 5 से 10 लाख तक जुर्माना भी लगेगा।
- बेअदबी की कोशिश करने वालों को कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल कैद और 3 लाख जुर्माना लगेगा।
- यह बिल किसी अन्य कानून के प्रावधानों के अतिरिक्त माना जाएगा, न कि उनके विरोध में।
कठिनाई में राज्य सरकार स्पष्टीकरण देगी
- यदि इस बिल को लागू करने में कोई कठिनाई आती है या कोई अस्पष्टता रहती है, तो राज्य सरकार एक आदेश के माध्यम से स्पष्टीकरण जारी कर सकती है।
- ऐसा कोई आदेश बिल लागू होने की तारीख से दो वर्ष के भीतर ही दिया जा सकता है।
- यदि कोई अन्य कानून इस बिल से विरोधाभासी है, तो इस बिल के प्रावधान प्रभावी माने जाएंगे।
अभी सिर्फ 3 साल कैद का प्रावधान धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को लेकर IPC में पहले 295 धारा था, जिसमें 2014 में संशोधन कर 295A बनाया गया। इसे अब BNS में 295A के तहत रखा गया है। धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी में इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का दोषी माना जाता है। इसके तहत 3 साल कैद और जुर्माना या फिर दोनों सजा का प्रावधान है।

