नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है। इसी मुद्दे पर इस बार हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने वोट भी मांगे थे। इसी बीच पेट्रोल और डीजल पर प्रतिबन्ध लगाने को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार दिल्ली में प्रदूषण काम करने को लेकर प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण के ऐसे हालात बने है। उन्होंने कहा कि यदि पहले काम हुए होते तो आज कोर्ट को ऐसा आदेश न देना पड़ता। प्रतिबन्ध को हटाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे में कल को कहा जा सकता है कि घर से ही मत निकलो।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बारे में कहा कि दिल्ली सरकार की और से कोर्ट में इसको लेकर एप्लिकेशन लगाई गई है। कोर्ट का आर्डर गाडी की फिटनेस पर आधारित होना चाहिए। क्यूंकि बुजुर्ग लोग लाभ कभी ही गाड़ी लेकर निकलते है। इससे जो गाड़ियां कम चली है वह भी इस कानून के अंदर आ जाएंगी। इस हालात में यदि उन गाड़ियों को उठाया जाएगा तो मालिक को बुरा लगेगा।
आपको बताते चलें कि दिल्ली की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर रखी है। सरकार ने कोर्ट में 2018 के एक आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि BS-6 वाहन BS-4 की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते है। सरकार ने कोर्ट में मांग की है कि NCR क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन और केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह पुराने वाहनों पर एक व्यापक अध्यन करें
सिर्फ उम्र के आधार पर वाहनों के लिए जो निर्देश दिए गए हैं, वे मध्यम वर्ग की आबादी पर असमान असर डालते हैं। इनमें कई लोग ऐसे हैं जिनके वाहन बहुत कम चलते हैं, लेकिन वे उन्हें अच्छे से संभालते हैं और प्रदूषण मानदंडों का पालन करते हैं। कई अध्ययन बताते हैं कि इन वाहनों का वार्षिक माइलेज अक्सर काफी कम होता है। इसका मतलब है कि ये वाहन कम समय के लिए चलते हैं और उनका कुल उत्सर्जन बहुत ही कम होता है। इस स्थिति में, केवल उम्र के आधार पर निर्णय लेना उचित नहीं है, क्योंकि इससे उन लोगों को नुकसान होता है जो अपने वाहनों का सही तरीके से उपयोग करते हैं। इसलिए, हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वाहनों की स्थिति और उपयोग की मात्रा को भी ध्यान में रखा जाए, ताकि नियम सभी के लिए समान और न्यायपूर्ण हों। इससे न केवल मध्यम वर्ग की आबादी की स्थिति बेहतर होगी, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

