इंटरनेशनल डेस्क (द पंजाब प्लस) अमेरिका ने एक बार फिर ईरान से तेल व्यापार को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए भारत की 6 कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन कंपनियों पर ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के आयात और खरीद में शामिल होने का आरोप है, जिसे अमेरिका ने अपने कानूनों का उल्लंघन बताया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह कार्रवाई कार्यकारी आदेश 13846 के तहत की गई है, जिसके तहत उन सभी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं जो ईरान के ऊर्जा क्षेत्र से जुड़कर वहां की सरकार को आर्थिक मदद पहुंचाते हैं। अमेरिका का दावा है कि ईरान इस राजस्व का इस्तेमाल मध्य-पूर्व में अस्थिरता फैलाने, आतंकवादी गतिविधियों को फंड करने और देश के अंदर मानवाधिकारों का दमन करने में करता है।
कौन-कौन सी भारतीय कंपनियां हैं निशाने पर?
अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड – सबसे गंभीर आरोप इसी कंपनी पर लगे हैं। अमेरिका ने इसे 2024 के दौरान 84 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार में लिप्त पाया है।
ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड – इस कंपनी ने जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर के मेथनॉल और अन्य ईरानी उत्पादों का आयात किया।
ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड – इस पर 49 मिलियन डॉलर के टोल्यूनि और अन्य उत्पादों के ईरान से व्यापार का आरोप है।
रमणिकलाल एस गोसलिया एंड कंपनी – 22 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के मेथनॉल और टोल्यूनि जैसे उत्पादों के लेनदेन में शामिल रही।
परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड – इस कंपनी ने यूएई के माध्यम से ईरानी मूल के उत्पादों के 14 मिलियन डॉलर के शिपमेंट का व्यापार किया।
कंचन पॉलिमर – इसने तानाइस ट्रेडिंग से पॉलीथीन जैसे उत्पादों का 1.3 मिलियन डॉलर का आयात किया।
अमेरिका की आपत्ति और वैश्विक संदेश
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने बयान में कहा है कि यह कदम ईरान की “वित्तीय जीवन रेखा” को रोकने की दिशा में है। अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ईरान को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिलने वाली आर्थिक सहायता सीमित हो, जिससे वह अपने “हानिकारक क्षेत्रीय प्रभाव” को कायम न रख सके।

