चंडीगड़ (द पंजाब प्लस) पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर आज, 7 अगस्त को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। अदालत ने पॉलिसी पर रोक लगा दी है। पंजाब सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। जल्दी ही अदालत के आदेश जारी होंगे। उसके बाद सारी स्थिति साफ हो जाएगा।
याची के वकील चरनपाल सिंह बागड़ी ने अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी है। बुधवार को हुई पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार की इस पॉलिसी को एक दिन के लिए होल्ड पर रख दिया था। यह जनहित याचिका लुधियाना के रहने वाले एक एडवोकेट द्वारा दायर की गई है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 2 अहम सवाल उठाए। पहला सवाल यह था कि क्या इस पॉलिसी के लिए पर्यावरणीय आकलन (Environmental Assessment Study) करवाया गया है। दूसरा सवाल था कि भूमिहीन मजदूरों और जमीन पर निर्भर अन्य लोगों के पुनर्वास के लिए क्या प्रावधान हैं।
इस पर एडवोकेट जनरल मनिंदर सिंह ग्रेवाल ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और कहा कि यह नीति 7 अगस्त तक स्थगित रहेगी और तब तक कोई अगला कदम नहीं उठाया जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि “रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम चंडीगढ़ प्रशासन” मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन आवश्यक होता है। पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी में कुछ संशोधन भी किए थे। जिसे किसानों के हित में बताया था।
हाईकोर्ट में यह याचिका लुधियाना के रहने वाले एडवोकेट गुरदीप सिंह द्वारा दायर की गई थी। वह स्वयं एक किसान हैं और उनकी अपनी जमीन इस पॉलिसी के अधीन आ रही थी। ऐसे में उन्होंने किसानों और जमीन मालिकों की ओर से लैंड पूलिंग नीति को चुनौती दी।
उनकी दलील थी कि केंद्र सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण को लेकर स्पष्ट नियम तय किए गए हैं और राज्य सरकार अपनी मर्जी से इन केंद्रीय नियमों में बदलाव नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया था।

