मानसा (द पंजाब प्लस) केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने लिंकेज युक्तिकरण के तीसरे चरण की पहल शुरू कर दी है। ऊर्जा मंत्रालय की इस पहल से विद्युत उत्पादन की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। इससे पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के लिए कई राहे खुल गई हैं। इस अवसर का इस्तेमाल वह विद्युत उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए कर सकेगी। ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में तीसरे चरण के लिंकेज युक्तिकरण के दौरान स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों से भी प्रस्ताव आमंत्रित किया था। इसने विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में नई आशा का संचार किया है।
इस प्रक्रिया ने विद्युत उत्पादकों को अपने कोयले के वर्तमान लिंकेज पर विचार करने का अवसर प्रदान किया है। साथ ही यह संभावना है कि वे कोयले के नए संभावित स्रोत की तरफ आगे बढ़ें। केंद्र सरकार की इस पहल के सबसे बड़े हितग्राही निजी विद्युत उत्पादक जैसे-तलवंडी साबो पावर प्लांट और नाभा पावर प्लांट हैं। ऊर्जा के बेहतर स्रोत की ओर इनके शिफ्ट होने से यह संभावना है कि उन्हें अच्छी गुणवत्ता का कोयला प्राप्त होगा। इससे विद्युत उत्पादकों के ऊर्जा प्रभार में उल्लेखनीय कमी आएगी। चूंकि इन स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों द्वारा संपूर्ण बिजली की आपूर्ति पी.एस.पी.सी.एल. को की जाती है, इसलिए अंतत: लाभ पी.एस.पी.सी.एल. को ही होगा, इसलिए इस प्रस्ताव को अंगीकृत किया जाना चाहिए। इससे संबंधित पूर्वानुमान यह संकेत देते हैं कि सरकार के इस कदम से सिर्फ तलवंडी साबो पावर प्लांट की वार्षिक लागत में 350 करोड़ की कमी आ जाएगी। इस हिसाब से विद्युत संयंत्र के बचे हुए जीवनकाल में समग्र रूप से 6000 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ होगा।
इतनी बड़ी राशि का लाभ समग्र रूप से विद्युत निगम को ही नहीं होगा, बल्कि इस बचत से प्राप्त राशि विद्युत उपभोक्ताओं को कम दर पर विद्युत उपलब्ध कराने में कारगार सिद्ध होगी। अब सारी नजर पी.एस.पी.एल. के ऊपर टिकी हुई हैं क्योंकि उपभोक्ताओं की यह बचत पूरी तरह से निगम पर ही निर्भर है। पंजाब के घरों और व्यवसायिक क्षेत्रों में निरंतर सस्ती विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पी.एस.पी.सी.एल. को यह मौका दोनों हाथों से लपक लेना चाहिए। इस लिंकेज युक्तिकरण का चयन कर पी.एस.पी.एल. को उपभोक्ताओं के कल्याण, कुशल संचालन और पर्यावरण हितैषी होने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी चाहिए। यह कदम ऊर्जा की दक्षता को बढ़ाने और ऊर्जा उत्पादन के कारण कार्बन फुटप्रिंट को घटाने के राष्ट्रीय एजेंडा के साथ समन्वय स्थापित करता है। चूंकि ऊर्जा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को सामने रख दिया है, अब निर्णय पूरी तरह से पी.एस.पी.एल. के ऊपर है।