द पंजाब प्लस/ दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (IGI) और मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरने वाले यात्रियों के लिए खास खबर है। बता दें कि दोनों प्रमुख एयरपोर्ट्स पर लगने वाले यूज़र चार्जेज़ जो हवाई टिकट का ही हिस्सा होते हैं में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। अनुमान है कि शुल्क 22 गुना तक उछल सकते हैं, जिससे टिकट के दाम में भारी बढ़ोतरी दिख सकती है।
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़ोतरी टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) के एक हालिया आदेश के बाद संभावित हुई है। ट्रिब्यूनल ने 2009 से 2014 के बीच लागू हुए एयरलाइन टैरिफ की गणना के फ़ॉर्मूले को बदलने का निर्देश दिया है।
50,000 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ एयरपोर्ट्स पर
TDSAT के फैसले के बाद दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट्स पर लगभग 50,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भार पड़ गया है। यह राशि एयरपोर्ट ऑपरेटर अब यात्रियों से वसूल किए जाने वाले यात्री विकास शुल्क (UDF), लैंडिंग फीस और पार्किंग चार्जेज़ के ज़रिए रिकवर करना चाहेंगे। इसका सीधा असर आम यात्रियों की जेब पर पड़ेगा।
मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा
TDSAT के आदेश को एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेग्युलेटरी अथॉरिटी (AERA) के अलावा कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस—जैसे लुफ्थांसा, एयर फ्रांस और गल्फ एयर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस निलय विपिनचंद्र अंजारिया की पीठ इस मुद्दे पर बुधवार को सुनवाई करेगी।
यात्रियों के लिए संभावित असर इतना बढ़ सकता है UDF
दिल्ली एयरपोर्ट (IGI):
घरेलू यात्री: ₹129 → ₹1,261
अंतरराष्ट्रीय यात्री: ₹650 → ₹6,356
मुंबई एयरपोर्ट:
घरेलू यात्री: ₹175 → ₹3,856
अंतरराष्ट्रीय यात्री: ₹615 → ₹13,495
सरकार भी चिंतित
केंद्र सरकार के अधिकारियों ने चिंता जताते हुए कहा है कि इतनी बड़ी बढ़ोतरी एयर ट्रैवल की मांग पर बुरा असर डाल सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यात्रियों को एयरलाइंस और एयरपोर्ट ऑपरेटरों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद की कीमत नहीं चुकानी चाहिए। उनका कहना था कि एयरपोर्ट एक प्राकृतिक एकाधिकार रखते हैं और एयरलाइंस के पास बढ़े हुए शुल्क को टिकटों में जोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
विवाद की जड़ें कहां हैं?
यह विवाद 2006 में हुए बड़े एयरपोर्ट निजीकरण कार्यक्रम से उपजा। AERA जो एयरपोर्ट शुल्क तय करने वाली वैधानिक संस्था है की स्थापना 2009 में हुई, जबकि दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट 2006 में ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से निजी कंपनियों को दिए जा चुके थे।
दिल्ली एयरपोर्ट का संचालन GMR समूह करता है। मुंबई एयरपोर्ट पहले GVK समूह के पास था, और वर्तमान में अडाणी समूह इसका संचालन देख रहा है।

