जालंधर (दीपक पंडित) जालंधर शहर की पावन धरा पर स्थित सिद्धपीठ श्री देवी तालाब मंदिर। एक ऐसा धार्मिक स्थल, जिसे जालंधरवासी अपनी धरती पर होने को गर्व मानते हैं। जिसे पूरे पंजाब में एकमात्र और विश्वभर में प्रख्यात 51 शक्तिपीठों में से एक होने का तमगा प्राप्त है। इस महानतीर्थ के नवनिर्माण के आज 55 साल पूरे हो रहे हैं। 12 दिसंबर 1970 को शिलापूजन के साथ इसका नवनिर्माण शुरू हुआ था। यह अब तक थमा नहीं है। पिछले साल ही मां त्रिपुरमालिनी का नया और भव्य भवन का निर्माण हुआ। अभी मंदिर में तालाब की कारसेवा जारी है।
श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज और कैशियर परविंदर बहल ने बताया कि नवनिर्माण के 55 साल पूरे होने पर मंदिर परिसर में कई विशेष आयोजन किए जाएंगे। सुबह से शाम तक दरबार में भजन होंगे। शाम सात बजे से मां त्रिपुरमालिनी की चौंकी होगी।
मंदिर के संचालक बताते हैं कि करीब पांच साल तक चले इस नवनिर्माण के बाद 17 फरवरी 1975 को मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया। मूर्ति स्थापना से पहले शोभायात्रा निकाली गई थी। इसमें नर-नारी, बच्चे-बूढ़े और संसारी एवं संयासी सभी इतनी अधिक संख्या में शामिल हुए, मानों जैसे सारा शहर ही उमड़ पड़ो हो। आज भवन में मां लक्ष्मी, मां दुर्गा, मां शारदा जी के सुंदर एवं दिव्य विग्रह मनोहारी छटा बिखेर रहे थे।

